NASA की एस्ट्रोनॉट Sunita Williams ने एक बार फिर से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की कमान संभाल ली है। ये दूसरा मौका है जब सुनीता विलियम्स को ISS का नेतृत्व करने का मौका मिला है। इससे पहले 2012 में भी वह एक मिशन की अगुवाई कर चुकी हैं। इस बार, सुनीता और उनके साथी एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर जून में Boeing के Starliner स्पेसक्राफ्ट के जरिए केवल आठ दिन के मिशन पर ISS पहुंचे थे
स्टारलाइनर की तकनीकी दिक्कतें, वापसी में देरी
हालांकि, स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कतें आ गईं और विलियम्स और विल्मोर की वापसी को फरवरी 2024 तक के लिए टाल दिया गया। रूस के एस्ट्रोनॉट ओलेग कोनोनेंको ने ISS की कमान सुनीता विलियम्स को सौंपी है, क्योंकि कोनोनेंको की धरती पर वापसी जल्द ही होने वाली है।
“ISS रहना एक खुशी का अनुभव” – Sunita Williams
हाल ही में सुनीता विलियम्स ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ISS पर रहकर काम करने के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा, “ISS पर रहना एक सुखद अनुभव है, और मेरे पिछले अनुभवों की वजह से यहां एडजस्ट करना मेरे लिए ज्यादा मुश्किल नहीं रहा है।” हालांकि, उन्होंने ये भी माना कि ISS पर उनके स्टे को बढ़ाए जाने से कुछ तनाव जरूर है, लेकिन वह पूरी तरह से मिशन पर फोकस कर रही हैं।
Wilmore का बयान: “सुरक्षा सबसे पहले”
विल्मोर ने कहा कि स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के साथ कुछ तकनीकी समस्याएं हैं जिनका समाधान होना बाकी है। हीलियम लीक की वजह से नासा और बोइंग ने फैसला किया है कि फिलहाल इसे बिना एस्ट्रोनॉट्स के धरती पर लाया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारी वर्तमान स्थिति सुरक्षा के लिहाज से बेहतर है।”
अंतरिक्ष से वोट करने की इच्छा
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने ये भी जाहिर किया है कि वे अंतरिक्ष से ही आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने की योजना बना रहे हैं। इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच कड़ी टक्कर है।
ISRO को मिली नई सीख
भारत के गगनयान मिशन के लिए ये चुनौतियां महत्वपूर्ण सीख साबित हो रही हैं। ISRO के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा है कि नासा और बोइंग द्वारा सामना की जा रही ये समस्याएं गगनयान के लिए तैयारी करने में मददगार होंगी। इस ह्यूमन रेटेड रॉकेट की पहली टेस्ट फ्लाइट इसी साल के अंत में हो सकती है।